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"अंधे का बेटा अंधा"महाभारत को लेकर लोक में प्रचलित भ्रांतियां

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द्रौपदी ने कभी कहा ही नहीं 'अंधे का बेटा अंधा' महाभारत को लेकर लोक में प्रचलित भ्रांतियों में सबसे अधिक आपत्तिजनक और अक्षम्य भ्रांति है महायुद्ध का आरोप देवी द्रौपदी के उस 'कटु वचन' पर थोप देना जिसमें उन्होंने कथित रूप से दुर्योधन को 'अंधे का बेटा अंधा' कहा था। मान्यता है कि इंद्रप्रस्थ की स्थापना के समय युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में पहुँचा दुर्योधन जब मयदानव निर्मित 'माया भवन' में गिरा तो द्रौपदी ने यह कहते हुए उसकी हँसी उड़ाई थी कि 'अंधस्य अंधो वै पुत्र:!' इस लोकोक्ति के उलट सच तो यह है कि इस तरह की कोई पंक्ति महाभारत में है ही नहीं। न द्रौपदी ने कभी दुर्योधन की हँसी उड़ाई, न अंधे का बेटा कहा। यहाँ तक कि जब दुर्योधन माया महल में गिरा उस समय द्रौपदी वहाँ उपस्थित तक नहीं थी।  नारी सम्मान को आहत करने वाली इसी निपट झूठी मान्यता के सत्य की पड़ताल महाभारत के अनेक अध्येताओं ने समय-समय पर की है। इसी कड़ी में जब गीताप्रेस गोरखपुर के छह खण्डों वाले एक लाख 217 श्लोक के ग्रन्थ में मैंने इस 'सत्य' को खोजने का प्रयास किया तो जो प्रमाण मिले वे ...