महामृत्युंजय मंत्र का महत्व
देशवासियों को बचाने के लिये सिर्फ 11 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप सब लोग प्रतिदिन 21 दिन तक करे।
महामृत्युंजय मंत्र का महत्व-
माना जाता है कि इस मंत्र का जाप करने से हर तरह के रोग व बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके अलावा लगातार जाप इस चमत्कारी मंत्र का जाप करने से घर में धन और समृद्धि आती है। वहीं ज्योतिष विशेषज्ञों का कहना है कि इस मंत्र का जाप सवा लाख बार करने से सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
सिर्फ 2 करोड़ लोग भी प्रतिदिन 21 दिन तक करे तो कुल मिला कर 504 करोड़ जाप होगा । 504 का योग 9 होता है ऑयर 108 का योग भी 9 होता है।
निश्चय मानीय मंत्र की शक्ति बहुत होती है और यह पूरे देश मे एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार पैदा करेगी।
करके देखे ,करके देखने मे कोई हर्ज नही है।
मैंने शुरू कर दिया है आप भी कीजिये।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृत:ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
यह त्रयम्बक "त्रिनेत्रों वाला", रुद्र का विशेषण जिसे बाद में शिव के साथ जोड़ा गया, को संबोधित है।
महा मृत्युंजय मंत्र का अक्षरशः अर्थ संपादित करें
त्र्यंबकम् = त्रि-नेत्रों वाला (कर्मकारक), तीनों कालों में हमारी रक्षा करने वाले भगवान को
यजामहे = हम पूजते हैं, सम्मान करते हैं, हमारे श्रद्देय
सुगंधिम = मीठी महक वाला, सुगंधित (कर्मकारक)
पुष्टिः = एक सुपोषित स्थिति, फलने-फूलने वाली, समृद्ध जीवन की परिपूर्* पुष्टिः = एक सुपोषित स्थिति, फलने-फूलने वाली, समृद्ध जीवन की परिपूर्णता
वर्धनम् = वह जो पोषण करता है, शक्ति देता है, (स्वास्थ्य, धन, सुख में) वृद्धिकारक; जो हर्षित करता है, आनन्दित करता है और स्वास्थ्य प्रदान करता है, एक अच्छा माली
उर्वारुकम् = ककड़ी (कर्मका* उर्वारुकम् = ककड़ी (कर्मकारक)
इव = जैसे, इस तरह
बन्धनात् = तना (लौकी का); ("तने से" पंचम विभक्ति - वास्तव में समाप्ति -द से अधिक लंबी है जो संधि के माध्यम से न/अनुस्वार में परिवर्तित होती है)
मृत्योः = * मृत्योः = मृत्यु से
मुक्षीय = हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति दें
मा = नहीं वंचित होएं
अमृतात् = अमरता, मोक्ष के आनन्द से
~ इस महामत्रँ से लाभ निम्न है -
धन प्राप्त होता
.जो आप सोच के जाप करते वह कार्य सफल होता
परिवार मे सुख सम्रद्बि रहती है
जिवन मे आगे बढते जाते है आप
~ जप करने कि विधि -
सुबह और सायं काल में प्रायः अपेक्षित एकांत स्थान में बैठकर आंखों को बंद करके इस मंत्र का जाप (अपेक्षित दस-ग्यारह बार) करने से मन को शांति मिलती है और मृत्यु का भय दूर हो जाता है। आयु भी बढ़ती है।
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