द्रौपदी ने कभी कहा ही नहीं 'अंधे का बेटा अंधा' महाभारत को लेकर लोक में प्रचलित भ्रांतियों में सबसे अधिक आपत्तिजनक और अक्षम्य भ्रांति है महायुद्ध का आरोप देवी द्रौपदी के उस 'कटु वचन' पर थोप देना जिसमें उन्होंने कथित रूप से दुर्योधन को 'अंधे का बेटा अंधा' कहा था। मान्यता है कि इंद्रप्रस्थ की स्थापना के समय युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में पहुँचा दुर्योधन जब मयदानव निर्मित 'माया भवन' में गिरा तो द्रौपदी ने यह कहते हुए उसकी हँसी उड़ाई थी कि 'अंधस्य अंधो वै पुत्र:!' इस लोकोक्ति के उलट सच तो यह है कि इस तरह की कोई पंक्ति महाभारत में है ही नहीं। न द्रौपदी ने कभी दुर्योधन की हँसी उड़ाई, न अंधे का बेटा कहा। यहाँ तक कि जब दुर्योधन माया महल में गिरा उस समय द्रौपदी वहाँ उपस्थित तक नहीं थी। नारी सम्मान को आहत करने वाली इसी निपट झूठी मान्यता के सत्य की पड़ताल महाभारत के अनेक अध्येताओं ने समय-समय पर की है। इसी कड़ी में जब गीताप्रेस गोरखपुर के छह खण्डों वाले एक लाख 217 श्लोक के ग्रन्थ में मैंने इस 'सत्य' को खोजने का प्रयास किया तो जो प्रमाण मिले वे ...
*सत्कर्म करते समय क्यों दी जाती है दक्षिणा;?* महालक्ष्मी का कलावतार हैं; ‘दक्षिणा’देवी ‘दक्षिणा’ महालक्ष्मीजी के दाहिने कन्धे (अंश) से प्रकट हुई हैं इसलिए दक्षिणा कहलाती हैं। ये कमला (लक्ष्मी) की कलावतार व भगवान विष्णु की शक्तिस्वरूपा हैं। दक्षिणा को शुभा, शुद्धिदा, शुद्धिरूपा व सुशीला–इन नामों से भी जाना जाता है। ये उपासक को सभी यज्ञों, सत्कर्मों का फल प्रदान करती हैं। गोलोकबिहारी श्रीकृष्ण और दक्षिणा का सम्बन्ध!!!!!!!! गोलोक में भगवान श्रीकृष्ण को अत्यन्त प्रिय सुशीला नाम की एक गोपी थी जो विद्या, रूप, गुण व आचार में लक्ष्मी के समान थी। वह श्रीराधा की प्रधान सखी थी। भगवान श्रीकृष्ण का उससे विशेष स्नेह था। श्रीराधाजी को यह बात पसन्द न थी और उन्होंने भगवान की लीला को समझे बिना ही सुशीला को गोलोक से बाहर कर दिया। गोलोक से च्युत हो जाने पर सुशीला कठिन तप करने लगी और उस कठिन तप के प्रभाव से वे विष्णुप्रिया महालक्ष्मी के शरीर में प्रवेश कर गयीं। भगवान की लीला से देवताओं को यज्ञ का फल मिलना बंद हो गया। घबराए हुए सभी देवता ब्रह्माजी के पास गए। ब्रह्माजी ने भगवान विष्णु का ध्यान किया। भग...
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