*चन्द्र द्वारा बाहरी पीड़ा-*
*चन्द्र द्वारा बाहरी पीड़ा-*
*ग्रह , बाहरी पीड़ा और मैने सबसे ज्यादा एक ही ग्रह पीड़ित देखा जो हमारे मन का कारक है चंद्र ।*
*चंद्र जब भी सूर्य , राहु और शनि के साथ होता है तब जातक बाहरी बाधाओ , चिंता , अवसाद और निराशा का शिकार बनता है और भूत बाधा भी ऐसे लोगो को ही होती है।*
*चंद्र की युति राहु के साथ कही भी हो और लग्न का स्वामी शनि से पीड़ित हो तो ऐसे जातक फालतू के जादू टोने में ज्यादा पड़ते है।*
*चंद्र नीच राशि का हो और लग्नेश अस्त हो साथ ही बुध राहु के साथ हो तो जातक को हमेशा यही भ्रम रहता है की किसी ने उसपर कुछ किया है।*
*लग्नेश का अष्टम में होना और उस पर राहु की दृष्टि हो एवम चंद्र सूर्य के साथ युत होकर बारवे भाव में बैठे तो भी जातक इन चीजो से पीड़ित होता है।*
*मंगल एकादश में अकेला हो और चंद्र आठवे भाव में हो तो जातक तंत्र का शिकार जरूर होता है शर्त है मंगल स्वराशि का ना हो।*
*राहु सूर्य के साथ हो चंद्र शनि के साथ और गुरु नीच का हो तो भी यह बाधा आती है चतुर्दशी का चंद्र हो तो जातक को मानसिक यातना भुगतना पड़ता है।*
*छठवे भाव में चंद्र राहु , आठवे में मंगल और बारवे में शनि केतु हो तो भी जातक इन सब चक्करो में पड़ता है।*
*और हां जब ये सब योग कुंडली में बनते है तोह जातक आत्महत्या की भी कोशिश करते पाए गए है।*
*छठे भाव में मंगल बुध की युति हो शनि आठवे भाव में हो और राहु द्वितीय में ऐसे जातक के मामा कुल में ये सब क्रिया की जाती है और मामा भी दुखी होता है और कई बार मामी द्वारा भांजी पर अर्थात स्वयं जातक पर तंत्र करने की कोशिश की जाती है परन्तु अगर गुरु बलि हो तो यह तन्त्र टल जाता है।*
*नवें भाव में राहु हो दूसरे भाव में बुध चन्द्र के साथ और मंगल तीसरे भाव में हो तो ऐसे जातक दूसरों पर जादू टोना अथवा दूसरों को भ्रमित जरूर करते है।*
*बुध राहु के साथ पहले भाव में हो चंद्र सातवे भाव में हो तो भी जातक इन चीजो का शिकार बन जाता है।*
*राहु के साथ चन्द्र छठवे आठवे या बारवे में हो मंगल अस्त या नीच हो तो ऐसे जातक आत्महत्या करने की कोशिश करते है और गुरु भी बलि ना हो तो आत्महत्या कर ही लेते है।*
*चंद्र दो पापी ग्रहो के बीच में हो गुरु छठे में हो सूर्य नीच का और मंगल अस्त हो तो जातक मानसिक उन्माद का शिकार होता है जिसके चलते वह खुद को ठेस पहुचाने की कोशिश करता है और तंत्र के चक्कर में भी फस जाता है।*
*अमावस्या का चंद्र हो और राहु के साथ युत हो छष्ठेश की लग्न पर दृष्टि हो अष्टमेश शनि के साथ हो तो भी जातक बहुत मानसिक उत्पीड़न का शिकार होता है विशेषतः चंद्र ,राहु की दशा अथवा अष्टमेश की दशा में।*
*चंद्र , बुध और लग्नेश तीनो यदि राहु और शनि के चपेट में आये तो ये ग्रह कही भी बैठे हो जीवन में एक बार इन सब बाहरी चीजो का सामना करना ही पड़ता है।*
*बुरा करने वाले या बुरा तंत्र करने वाले भी राहु से प्रभावित होते है जब इन लोगो का मन कमजोर होता है तो यह लोग इन सब फसादों में पड़ते है और तंत्रो का प्रयोग दुसरो को तंग करने और अपने स्वार्थ के लिए करते है इनका गुरु दूषित होता है और मंगल पीड़ित ।*
*यू तो तंत्र साधना महान साधना और शुद्ध है इसकी उत्तपत्ति ही महादेव व भवानी द्वारा जनहित के लिए की गई है लेकिन कुछ लोगो ने इसको अपने स्वार्थ के लिए एवम दुसरो को ठेस पहुँचाकर बदनाम कर दिया है ।*
*जिनका मन बलि होता है एवम गुरु व शुक्र शुद्ध वह भी तन्त्र का प्रयोग करते है लेकिन सामाजिक सेवा व दुसरो के मदत के लिए। तंत्र का दुर्पयोग अनर्थ करता है लेकिन वाम मार्गी तांत्रिक अपने स्वार्थ के लिए गलत उपयोग भी करते है दक्षिण मार्गी तंत्र उत्तम होता है ।*
*पसीने से गन्दी बदबू आये , रात को अचानक या झटके से नींद खुल जाए, शरीर में अकड़न बनी रहे , पूजापाठ में मन न लगे , मन में बैचैनी और बाहर किसी काम के लिए निकलते वक्त यदि मरे जीव जैसे चूहा ,बिल्ली और तितली दिखे तो समझ जाए कोई तो आपके साथ खिलवाड़ कर रहा है ऐसे वक्त में आप पवनसुत हनुमान को रोज 11 प्रदक्षणा मारे केवड़े का इत्र चढ़ाये और दिन में दो बार बजरंग बाण सहित हनुमान चालीसा का पाठ करे।*
*खैर एक चीज मैने अपने विश्लेशन में पाई यदि आपका गुरु बल अच्छा हो तो चंद्र कितना भी कमजोर क्यो ना हो जातक इन सब चपेटों से बाहर निकल जाता है।*
*चंद्र राहु केतु और शनि से जितना दूर उतना अच्छा उसी तरह अमावस्या का चंद्र भी घातक होता है जब वह सूर्य के साथ युत होता है सूर्य से सातवा चंद्र बलि होता है क्योकि वह पूर्णिमा का होता है।*
*पूर्णिमा का चंद्र हो और गुरु से युत हो सूर्य स्वराशि या उच्च का हो तो जातक कभी भी बाहरी बाधा से पीड़ित नही होता ।*
*भाग्येश बलि हो और लग्नेश गुरु से दृष्ट हो , चंद्र स्वराशि उच्च राशि का हो तो भी जातक इन सब चक्करो में नही पड़ता।*
*गुरु की दृष्टि लग्न लग्नेश और राशी पर हो तब भी जातक सफलता पूर्वक जीवन जीता है।*
*मन को सदा बलि रखने के लिए महादेव को दूध चढ़ाये और एक निम्बू काटकर चढ़ाये, पवनसुत हनुमान की आराधना करे , भवानी को सदा नमन करे और अपने गुरु की सेवा करते रहे और हर रोज अपने कुल देवी या देवता को नमन करे किसी से फालतू का बैर ना रखे , बाकी उस परमपिता परमात्मा और गुरुदेव की कृपा दृष्टि आप पर हो तो कोई आपका कुछ नही बिगाड़ सकता।
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