शनि और चंद्रमा जब एक साथ कुंडली में हो
शनि और चंद्रमा जब एक साथ कुंडली में हो
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चंद्रमा हमारा मन है l मन सबसे अधिक चंचल होता है l चंद्रमा ही हमारा कल्पना है l कल्पनाशील आदमी तभी हो सकता है जब चंद्रमा स्वतंत्र हो और चंद्रमा बलवान हो l यह जलकारक ग्रह है l जल से संबंधित सभी चीजों का यह प्रतिनिधित्व करता है जैसे दूध, जल , फल , सब्जी , फूल l अगर किसी पदार्थ में भी द्रव्य मिश्रित है यानी कि जल मिश्रित है l समझ लीजिए कि चंद्रमा का गुण है उसमें चाहे जिस रूप में हो l जैसे समझिए घी इसमें गुरु के साथ-साथ चंद्र का भी योग है क्योंकि इसमें जल का अंश है l इसी प्रकार शराब के साथ है l जल के साथ-साथ जहर भी है यानी चंद्रमा और शनि दोनों का योग है चंद्रमा और राहु भी कह सकते हैं क्योंकि राहु भी जहर है l स्त्री कारक ग्रह है अतः यह स्त्री का भी प्रतिनिधित्व करता है l
आइए शनि की बात करते हैं l कुंडली में अच्छा रहे तो आदमी मेहनती होता है l धैर्यवान होता है l विवेकी होता है l सोच समझ कर कार्य करने वाला होता है l इमानदार होता है l
इसके विपरीत अगर कुंडली में निर्बल हो तो आलसी परवर्ती , हर कार्य को टालने वाला , कंजूस , चापलूस तथा मलेक्ष जैसा रहने वाला होता है l हालांकि ऐसा जातक एकांतप्रिय भी हो जाता है I
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जब दोनों एक साथ रहे I तब यह देखें कि दोनों में बलवान कौन है चंद्रमा बलवान है या शनि बलवान है I अगर चंद्रमा बलवान रहेगा तो जातक में मन का आलस्य ज्यादा रहेगा I हर कार्य में लेट लतीफा करेगा I बहाना बहुत बनाएगा I अपनी बुद्धि का उपयोग नहीं करना चाहेगा I खयाली पुलाव बहुत बनाता है l इनके सारी योजनाएं दिमाग में ही रहते हैं l
कभी-कभी दोस्तों के बहकावे में शराब की भी आदत लग जाती है क्योंकि चंद्रमा जल का प्रतिनिधित्व करता है और शनि जहर का जो कि शराब है I
चंद्रमा स्त्री कारक ग्रह होने की वजह से स्त्री को भी परेशानी होती है I पत्नी से उदासीनता रहती है एकांतवास की ओर ले जाता है I नशे की लत के वजह से घर तहस-नहस होता है इसीलिए इसे हम विष योग भी कहते हैं l
लग्न में यह योग अपने वजह से अपना और परिवारिक जीवन दोनों नष्ट कर लेता है I द्वितीय भाव में पारिवारिक संपत्ति नष्ट कर लेता है I द्वादश भाव में हो तो जेल निश्चित जाता है I
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अगर चंद्रमा शनि के युक्ति में शनि अगर बलवान हो l जातक मंदबुद्धि का हो जाता है l उसे हर चीज देर से समझ में आता है l मंदबुद्धि के कारण समाज से तथा परिवार से भी अलग-थलग होकर ज़िता है l इसमें अगर राहु का योगदान हो जाए तो और विक्षिप्त हो जाता है l
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अगर शुभ ग्रह गुरु की युति हो या दृष्टि हो l उस स्थिति में चंद्रमा बलवान हो जाता है तब ऐसी स्थिति नहीं देखा जाता है l जातक गंभीर और समझदार होता है l हर योजनाओं में सफल होता है l
जबकि मंगल की युति या दृष्टि सनक़ी और जिद्दी बनाता है I अनाप-शनाप हठ पकडे रहता है I
जबकि शुक्र शांत और सौम्य स्वभाव का बनाता है I
सूर्य की युति या दृष्टि कड़े स्वभाव तथा अनुशासन प्रिय बना देता है l इस योग को भी हम अच्छा नहीं मान सकते क्योंकि इतने उच्च विचारधारा के हो जाते हैं कि जिंदगी में कुछ कर नहीं पाते l
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